शीश कटाते फौजी देखे,
आँख दिखाता पाकिस्तान,
भाव गिराता रुपया देखा,
जान गँवाता हुआ किसान,
बहनो की इज्ज़त लुटती देखीं,
काम खोजता हर नौजवान,
कोई तो मुझको यह बता दे..
यह कैसा भारत निर्माण..
अन्न गोदामो में सड़ते देखा,
भूख से मरता हिंदुस्तान,
घोटालो की सत्ता देखीं,
लूटता हुआ यह हिंदुस्तान,
आपस में लड़कर भाई-भाई,
जा रहे है क्यों श्मशान,
कोई तो मुझको यह बता दे..
यह कैसा भारत निर्माण..
पैसो के आगे बिकता देखा,
हर इंन्सान का ईमान,
ईमानदारी को कुचलते देखा,
तनकर चलता बईमान,
कदम कदम पर होते देखा,
देश की गरीबो का अपमान,
कोई तो मुझको यह बता दे..
यह कैसा भारत निर्माण…! ! ३! !
हिंसा को मैंने बढ़ते देखा,
अहिंसा का होता कत्त्लेआम,
गिरगिट का रंग बदलने जैसा,
रूप बदलता हर इंसान,
आपस में हमने लड़ते देखा,
राम हो या हो रहमान,
कोई तो मुझको यह बता दे..
यह कैसा भारत निर्माण…
यह कैसा भारत निर्माण….